भारत में ग्रामीण आवास का सफर | PMAY‑G Info

भारत में ग्रामीण आवास का सफर | PMAY‑G Info

भारत में ग्रामीण आवास का सफर

इंदिरा आवास योजना (IAY) से प्रधानमंत्री आवास योजना‑ग्रामीण (PMAY‑G) तक

भारत में ग्रामीण आवास कार्यक्रमों का इतिहास

हर भारतीय का सपना होता है कि उसका अपना एक पक्का और सुरक्षित घर हो। इसी सपने को साकार करने के लिए भारत सरकार ने आज़ादी के बाद से ही ग्रामीण आवास योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया है। यह पेज आपको भारत में ग्रामीण आवास कार्यक्रमों के इतिहास की यात्रा पर ले जाएगा, जिसमें हम जानेंगे कि कैसे ये योजनाएं समय के साथ विकसित हुईं और अंततः प्रधानमंत्री आवास योजना‑ग्रामीण (PMAY‑G) के रूप में हमारे सामने आईं।

आज़ादी के बाद ग्रामीण आवास की शुरुआती पहल

स्वतंत्रता के तुरंत बाद, सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक शरणार्थियों का पुनर्वास था, जिसके लिए एक सार्वजनिक आवास कार्यक्रम शुरू किया गया। इस प्रयास के तहत 1960 तक देश के अलग‑अलग हिस्सों में लगभग 5 लाख परिवारों को मकान दिए गए। इसके बाद, ग्रामीण क्षेत्रों में संगठित रूप से आवास प्रदान करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए:

1957

ग्राम आवास कार्यक्रम (VHP)

सामुदायिक विकास आंदोलन (सीडीएम) के तहत 1957 में शुरू हुई इस योजना में लोगों को घर बनाने के लिए ₹5,000 तक का ऋण दिया जाता था।

1969‑74

आवास स्थल‑सह‑निर्माण सहायता योजना (HSCBS)

चौथी पंचवर्षीय योजना (1969‑1974) के दौरान इस योजना को शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य भूमिहीन परिवारों को आवास के लिए ज़मीन और निर्माण सहायता देना था।

1983

ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम (RLEGP)

1983 में शुरू हुए इस कार्यक्रम के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति और मुक्त कराए गए बंधुआ मजदूरों के लिए मकान बनाने की अनुमति दी गई, जिससे इंदिरा आवास योजना की नींव पड़ी।

1985

इंदिरा आवास योजना (IAY) का प्रारंभ

जून 1985 में IAY को RLEGP की एक उप‑योजना के रूप में औपचारिक रूप से शुरू किया गया।

1989

जवाहर रोज़गार योजना में समावेशन

1989 में जब जवाहर रोज़गार योजना (JRY) आई, तो IAY को इसका हिस्सा बना दिया गया और इसके तहत आवंटित निधि को भी समय‑समय पर बढ़ाया गया।

IAY की सीमाएं और PMAY‑G की आवश्यकता

इंदिरा आवास योजना ने दशकों तक ग्रामीण भारत में आवास की ज़रूरतों को पूरा किया, लेकिन समय के साथ इसमें कुछ गंभीर कमियाँ सामने आने लगीं। 2014 में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट ने इन कमियों को उजागर किया, जिनमें शामिल थीं:

  • लाभार्थियों के चयन में पारदर्शिता की कमी
  • खराब गुणवत्ता वाले मकानों का निर्माण
  • ऋण सुविधाओं का लाभार्थियों तक न पहुंचना
  • कमज़ोर निगरानी प्रणाली

इन्हीं कमियों को दूर करने और “2022 तक सबके लिए आवास” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, 1 अप्रैल 2016 से इंदिरा आवास योजना को प्रधानमंत्री आवास योजना‑ग्रामीण (PMAY‑G) के रूप में पुनर्गठित किया गया।

निष्कर्ष

ग्रामीण आवास योजनाओं का यह सफर दिखाता है कि कैसे सरकार ने समय के साथ अपनी नीतियों को बदला है ताकि लाभ सीधे सबसे ज़रूरतमंद व्यक्ति तक पूरी पारदर्शिता और सम्मान के साथ पहुंचे। आगामी पृष्ठों में हम विस्तार से जानेंगे कि PMAY‑G की मुख्य विशेषताएं क्या हैं और यह IAY से कैसे बेहतर है।